शनिवार, 22 जून 2019

परदेसी


 परदेसी साजन


कई बार मेरे दिल ने दी हैं तुम्हें सदाएं
हमको भुलाने वाले तुम्हे हम भुला न पाएं

गैरों की बात सुनके फेरी हैं तूने नजरें
हमने तो सारे वादे, शिददत से हैं निभाएं

किस देश तू गया है परदेस जाने वाले
तेरा दूर हैं बसेरा, आहें भी जा न पाएं

पूछे हैं किताबों में सुखी हुई वो कलियां
उस बिन क्यों जी रहा है ? तुझे लाज भी न आये

तुमने मिटा दिया है यादों से अपनी हमको
तश्वीर तेरी दिल से हमतो मिटा न पाए

मुझे छोड़ जाने वाले कभी खाब में ही आजा
निकले ये दम हमारा और चैन दिल को आए

बस खेल समझते है दिल का लगाना संगदिल
परदेसियों से "सावन" कोई  प्रीत न लगाए

“सावन चौहान कारोली”-एक कलमकार

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