भारत के भूतपूर्व प्रधानमन्त्री और अभूतपूर्व साहित्यिक मनीषी स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेईजी को सावन चौहान कारोली की ओर से अश्रुपूर्ण श्रधांजलि...
वो आफताब हिन्द का
खुद रोशनी इक हो गया ।
अटल था वो ।
अखिल था वो ।
अमिट था मिट नहीं सकता
जलती हुई मशाल था
खुद रोशनी इक हो गया ।
अटल था वो ।
अखिल था वो ।
अमिट था मिट नहीं सकता
जलती हुई मशाल था
तम कहीं भी टिक नहीं सकता
चुनोतियों को जीत कर
सुकूँ की नींद सो गया
एक युग का अंत…
जन गण की वो जो आश था
हर दिल के आस-पास था
वो भूख था गरीब की
प्यासे दिलों की प्यास था
चला गया ऐसी डगर
चला गया ऐसी डगर
वो आशुवों में डुबो गया
एक युग का अंत…
आवाज अलग ।
अंदाज अलग ।
था राज अलग इतिहास बना
ले नेक इरादे और वादे
जनमानस का विश्वास बना
वो राजनीत की भूमि में,
कमल के बीज बोगया
एक युग का अंत…
समदर्शी था ।
संघर्षी था ।
था अजातशत्रु सरल सहज
थी सच्चाई की जुबां पे लहज
कलम का एक सिपाही देखो
खुद एक काव्य हो गया
एक युग का अंत…
एक भावना ज्वलन्त था
विचारों की भिड़ंत था
सचमुच में एक सन्त था
वो सन्त कहीं खो गया ।
एक युग का अंत हो गया
लो वो अनन्त हो गया
सावन चौहान कारोली -एक कलमकार
18 अगस्त 2018
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