शनिवार, 30 अक्तूबर 2021

चांदनी मुस्कुराती रही रात भर


 
ग़ज़ल

212 212 212 212


मतला


चाँदनी मुस्कुराती रही रात भर 

वो मुझे याद आती रही रात भर - मतला शेर


कर गई झील सी आँख ऐसा असर

धड़कने गीत गाती रही रात भर -1


आँख उसने मिलाके, जिया छू लिया

करवटें ही जगाती रही रात भर -2


उसने पलकें झुका के गज़ब कर दिया

हसरतें झट-पटाती रही रात भार-3


छप गई उसकी सूरत मेरी आंख में

ये पलक झिलमिलाती रही रात भर - 4


कुछ भी बोला नहीं फिर भी सब कह दिया

बिजलियां कड़कड़ाती रही रात भर -5


लब खुले तो शहद सा घुला कानों में 

तितलियां फड़फड़ाती रही रात भर - 6


बिन पिए ही नशा सा हमें हो गया

नींद भी आती जाती रही रात भर - 7


अजनबी सा लगा ही नहीं वो मुझे

याद जिसकी सताती रही रात भर -8


आज तक ऐसे कोई न सावन जमा 

रूह तक गुनगुनाती रही रात भर -9




गज़लकार - सावन चौहान कारोली


31-10-2021




गज़लकार - सावन चौहान कारोली

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