गुरू ब्रह्मा गुरू श्री हरी,
गुरू है भोले नाथ ।
शीश सदा गुरू चरण नवे,
छ रुत बारह मास ।।
गुरू की जो सेवा करे,
वो नर है बड़भागी ।
जो आदेश पालन करे,
उसकी किस्मत जागी ।।
गुरू बिना संसार ये,
होता नरक सामान ।
गुरू नाम के पुष्प से,
है गुलशन में जान ।।
सारी विपदा शिष्य की,
अपने सर गुरू लेय ।
जीवन के हर कॉलम में,
ज्ञान सुधा भर देय ।।
गुरू चांदनी रात है,
गुरू सुहानी भोर ।
जीवन एक पतंग है,
गुरू है उसकी डोर ।।
गुरू चरण जिसको मिले,
हो जाए भव से पार ।
गुरू चरणों की रज पाके,
हो जाए उद्धार ।।
गुरू जगाता चेतना,
गुरू दिखता राह ।
उसका जीवन सफल है,
गुरू की जिसपे निगाह ।।
गुरू ज्ञान की नाव में,
मिले जिसे स्थान ।
उसको तीनों लोकों में,
मिलता है सम्मान ।।
गुरू दिशा गुरू रोशनी,
गुरू गुणों की खान ।
सावन सतगुरू मिल जावें,
मिल जावें भगवान् ।।
"सावन चौहान कारौली"
गुरू चरणन की धूल...
भिवाड़ी अलवर (राजस्थान)
9636931534