रविवार, 6 दिसंबर 2020

Jaman badal gaya

 



जमाना बदल गया



तंग पजम्मी पहरें मम्मी, के छोरियां का खोट,

 ज़माना बदल गया ।

फैशन के मा हुई बावळी, घुंगट की गई ओट,

 ज़माना बदल गया ।।


मूंछ रही ना पूँछ रही पर, ~~~ बकरा-दाढ़ी राखें स

काम धाम कुछ करे नहीं, पर सॉलिड बॉडी राखें स

बकरे बरगी शक्ल बणाली, माणश बणगे goat, 

जमाना बदल गया ।


शहर नगर की बात छोड़ दयो, गाम तरक्की कर रे स

फेसबुक पे बूढ़े माणश, ~~~ सेटिंग पक्की कर रे स

बूढी बूढी भी सेल्फी ले री, पाउट कर के होट, 

ज़माना बदल गया ।


बचे नहीं स संत घणे, भई चोर लुटेरे ज्यादा स

भगताई भी बिजनेस बणगी, चाटु खोरे ज्यादा स

बाबाजी भी जीन्स पहरते धर दिया तार लंगोट,

 जमाना बदल गया ।


मात-पिता भूखे सोवें और ये भंडारे भोज करे

गाय तरसती चारे ने और कुत्ते घर में मौज करे

गोमाता के बछड़े बनते, थे कदे सुथरी जोट, 

ज़माना बदल गया ।


प्यार प्रेम था पर्दे का, पर्दे का नहाणा खाणा था 

मोबाईल और टीवी ना थे, मिलना और मिलाना था

आज उघाड़े  ये सब न्हा रे, स्विमिंग पुल में  लोट, 

जमाना बदल गया ।

https://sawankigazal.blogspot.com/2019/07/chashka-bura-sharab-ka.html?m=1

सावन चौहान कारोली-एक कलमकार

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