सोमवार, 29 जुलाई 2019

रे मन निर्मल पावन होजा

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रे मन निर्मल पावन हो जा


रे मन निर्मल, पावन हो जा,
सबका तु मन भावन हो जा ।
आगे बढ़ तु ,अतीत भूल कर ,
मथुरा और वृन्दावन हो जा ।


कुछ चीज़े मोह लेंगी तुझको ,
कुछ बातें छोलेंगी तुझको ।
यहीं उलझ तू, मत रह जाना ,
सरस तपस्वी का तन हो जा ।


तु बन जा, एक अथाह समुन्दर,
सब कुछ तू ले ले खुद अंदर ।
सबके लिये हो जा सुखदायक ,
तु काऊ पेड़ की छावन हो जा ।


झूठे झमेले छोड़ दे सारे ,
इत उत मत भटके मेरे प्यारे ।
स्नेह प्रेम उपजा खुद अंदर,
फूलों वाला दामन हो जा।


सब तेरे है तू सबका बन ,
शील,विनय ,आदर शृद्धा बन ।
बड़ों का कर मेरे मन सम्मान,
समदर्शी तू ऐ सावन हो जा ।


“सावन चौहान कारौली”  एक नादान कलमकार
भिवाड़ी अलवर राजस्थान
मो.9636931534


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