Aadmi badh chala kis sadi ki taraf
काफ़िया -ई
रदीफ़ -की तरफ
212 212 212 212
नेकियाँ छोड़ कर है बदी की तरफ
आदमी बढ़ चला त्रासदी की तरफ
ढेर बारूद का रात दिन बढ़ रहा
होड़ में बढ़ चले खुदखुशी की तरफ
होड़ में बढ़ चले खुदखुशी की तरफ
इस सियासत ने पैदा करी दूरियां
आग भड़की अमन की गली की तरफ
आग भड़की अमन की गली की तरफ
काट डाले सजर बस्तियों के लिये
अब न रोनक बची है नदी की तरफ
अब न रोनक बची है नदी की तरफ
रोज ही चढ़ रही बेटियों की बली
चल पड़े जाने हम किस जमीं की तरफ
भेड़ियों का शहर में हुआ राज है
आज दहशत बसी रौशनी की तरफ
ज़र हुआ है खुदा बदली आबो हवा
कोई भी तो नहीं सादगी की तरफ
वो अदब खो गया बेरहम हो गया
ये ज़माना मुडा तीरगी की तरफ
साहूकारों के हिस्से में आई ख़ुशी
दर्द सावन रहा मुफलशी की तरफ
सावन चौहान कारोली
10-11-2017
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