सोमवार, 24 जून 2019

फिर से आजा कृष्ण मुरारी



 फिर से आजा कृष्ण मुरारी


कभी मन्दसौर की घटना से आहत होकर एक  सृजन किया था लेकिन "महाराष्ट्र के पालघर" में हुई संतों की जघन्य हत्या इस सृजन पे बहुत सटीक बैठती है अगर भाव दिल तक पहुचे तो आशीर्वाद जरूर देवें और गीतकार के दर्द को महसूस करें




बहर- साथ है इतना प्यारा, कम लगता है जीवन सारा

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फिर से आजा कृष्ण मुरारी, ’प्रबल’ हुए फिर अत्याचारी 

धर्म आज लाचार~खड़ा है, मौन है भीष्म ~ द्रोणाचारी 

फिर मुरली वही बजाजा

ए मोर मुकुट वाले,अवतार लेके आजा ।


निर्मम हत्या संतों की, होती है बीच बाजार

प्रभु होती बीच बाजार

क्या तुझ तक नहीं जाती है, संतों की चीख-पुकार

संतो की चीख पुकार

भगतों पे संकट है भारी, जाती हैं गौ माता मारी

फिर टूटी धीर, बँधाजा, 


ओ मोर मुकुट वाले…….


चीरहरण को खड़े दुशासन, द्रोपती करे पुकार

हरी द्रोपती करे पुकार

फिर तू चीर बढाने आजा, नाव बीच मझधार

प्रभु नाव बीच मझधार

धृतराष्ट् शायद अँधा है, सब सिस्टम गोरख धंदा है

 इनको सबक सीखा जा


ए मोर मुकुट…



लुटती लाज बचाने ~आजा , पीड़ा बड़ी अपार

हरी पीड़ा बड़ी अपार

दुष्टों को निबाटने ~~~आजा, कर इनका संघार

 प्रभु कर इनका संघार

देवी का अपमान हुआ है, नरता को अभिमान हुआ है

तू धर्म की अलख जगाजा, ए मोर मुकुट वाले अवतार लेके आजा


फिर से आजा…



बेटी के माँ-बाप हुए है, आज बहुत लाचार,

हरी आज बहुत लाचार

चहुदिश कोलाहल है भारी, मच रही चीख पुकार

प्रभु मच रही चीख पुकार

गोधन के रखवाले आजा, मोहन मुरली वाले आजा

फिर भगवत ज्ञान सुना जा


ए मोर मुकुट…



आज दरिंदे घूम रहे है, खुल्ले बीच बाजार

प्रभु खुल्ले बीच बाजार

न्याय वयवस्था भी है "सावन", पंगु और बेसार

अजी पंगु और बेसार

ले कर चक्र सुदर्शन आजा, धरती से अधर्म को मिटाजा

फिर धर्म ध्वज फैरा जा


ए मोर मुकुट…

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गीतकार-सावन चौहान कारौली

भिवाड़ी अलवर राजस्थान

मो.9636931534

30-06-2018