चौंसठ योगिन गावें गीत
बहर - मैया मटकी दिनी फोड़ तेरे या कृष्ण मुरारी ने
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चौंसठ योगिन गावें भेट भवन में भैरू नाचे है
भैरू नाचे है की माँ को शेरू नाचे है
चौंसठ …
जगमग जगमग जोत जलत है बाजे ताल मृदंगा-2
डमरू ले शिव शंकर नाचे जटा ते निकली गंगा
चौंसठ …
मात बिराजत हैं सिंघासन कर सोलह श्रृंगार-2
सभी देव दर्शन को आये महारानी के द्वार
चौंसठ…
माँ के भवन की शोभा न्यारी छाँई ख़ुशी अपार-2
घुटमन खेले है लांगुरिया मैया करे दुलार
चौंसठ…
कोयल मोर पपीहा बोलें बोलें दादुर प्यारो
देख छवी ऐसी मैया की सावन सुध-बुध हारो
चौंसठ योगिन…
भवन में भैरू…
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गीतकार-सावन चौहान कारोली
भिवाड़ी अलवर राजस्थान
मो.9636931534