जाने कैसा सौदा है
जाने कैसा
सौदा है, "लूट -पिट " के आराम~~ मिले
"उसकी "सूरत दिख जाये जो चाहे इल्जाम मिले
बस एक दीद का प्यासा हूँ
सुबहा मिले या श्याम मिले
जाने कैसा सौदा…
उस बिन चैन नहीं मिलता-2
वो मिल जाए राम मिले
शब भर करवट में गुजरे-2
शब गुजरे ना आँख ढले
लाज शर्म सब मिट जाए-2
फिर कोई भी नाम मिले
कुछ भी नहीं सुहाता है-2
दिन निकले या श्याम ढले
"सावन चौहान कारोली"
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