गजल-नेमतें
बहर - यूं ही तुम मुझसे बात करती हो
वज़्न -2122 1212 22
नेमतें अर्श से उतारी है
रूप भगवान का ये' नारी है
जिंदगी इनके दम पे पाई है
नेमतें अर्श से उतारी है
रूप भगवान का ये' नारी है
जिंदगी इनके दम पे पाई है
फूल सी इसने ही सँवारी है
माँ कभी बहन औ कभी बेटी
प्रेम, ममता भरी पिटारी है
सबके खाने के बाद खाती है
बाद सोने के आती बारी है
त्याग की जिंदा एक मूरत है
छोड़ बाबुल को पी पे वारी है
फर्ज सिद्दत से सब निभाती है
चाहे सीने पे फिर कटारी है
कद बड़ा है खुदा सा औरत का
इसपे ‘सावन’’ कलम ये वारी है
सावन चौहान कारोली-स्वरचित
इस ही बहर में और गीत -"यूँ ही तुम मुझसे बात करते हो या कोई प्यार का इरादा है"