पुलवामा आतंकी हमला
शहीदों की चिताओं की आग अभी बुझी नही
कैसे यारों अबीरो गुलाल मे नहाऊँ मैं
और आशुँ अभी सूखे नही पथराई आँखों वाले
कैसे यारों फाग वाले गीत अब के गाऊँ मैं
कैसे यारों अबीरो गुलाल मे नहाऊँ मैं
और आशुँ अभी सूखे नही पथराई आँखों वाले
कैसे यारों फाग वाले गीत अब के गाऊँ मैं
नन्हे नन्हे माशूमों के पापा पापा वाले बोल
दिल को पाषाण कर भी सुन नही पाऊँ में
रोती हुई बहनों की भीगी भीगी आँखें अभी
कैसे फिर होली का त्यौहार ये मनाऊँ मैं
बुढ़े माँ- बाप की गई लाठी टूट अभी
कैसे उन बेचारों की धीर अब बंधाऊँ मैं
मांग का सिंदूर गया आखियों का नूर गया
कैसे घायल शेरनी के दिल को दुखाऊँ मैं...
सावन चौहान कारोली
१९-०३-२०१९
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