212 212 212
Jab se dil ashana ho gaya
काफिया - आ (स्वर्)
रदीफ़ - हो गया
जब से दिल आशना हो गया
हर नजारा नया हो गया
जिसको खाबों में सोचा किये
वो मिरा हमनवा हो गया
वो मिरा हमनवा हो गया
जैसे नज़रों से नजरें मिली
चैन दिल का हवा हो गया
चैन दिल का हवा हो गया
हम शराबी से लगने लगे
जाने कैसा नशा हो गया
उसने कितना छुपाया मगर
आँखों से सब बयां हो गया
आँखों से सब बयां हो गया
नींद आती नहीं रात भर
रोज का माजरा हो गया
रोज का माजरा हो गया
रूह तक मेरी उतरा है यूँ
धड़कनों की सदा हो गया
धड़कनों की सदा हो गया
“””””””””””””””””’”””””””’”””””
सावन चौहान कारोली
भिवाड़ी अलवर राजस्थान
उड़ान परिवार
https://www.writersindia.in/2019/06/blog-post_9.html?m=1
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