Shyam Sunder
श्याम वर्ण छबि है अति पावन ।
मोहन अति मोहक मन भावन ।।
नटखट नन्द बाबा को लाला ।
लट घुंगराले नयन विशाला ।।
मोर मुकुट माथे पे राजे ।
प्यारी मुरलिया संग में साजे ।।
ग्वाल बाल संग माखन चोरे ।
गोपिन की मटकिन कु फोड़े ।।
श्याम सुंदर चित चोर निरालों ।
गोकुल की गायन को ग्वालो ।।
जब मुरली की तान लगावे ।
जीव जन्तु सब धोरै आवे ।।
जान बुझ सब गोपिन छेड़े ।
बांके बिहारी भी है टेढ़े ।।
मिठो बोलै बड़ो सुहानो
जाको 'सावन' हुयो दीवानो ।।
नटवर नागर है रंग रसिया ।
राधा के मन को मन बसिया ।।
सावन चौहान कारौली
https://www.writersindia.in/2019/07/Mathura-vrindawan.html?m=1