गुरुवार, 8 अगस्त 2019

शोहबत


Naqaab rukh se

नकाब रुख से

काफ़िया- बिगाड़
रदीफ़- देती है

1212 1122 1212 22

नकाब रुख से वो जब भी, उघाड़ देती है।
बड़े बड़ों की शराफत, बिगाड़ देती है।।

कमाल हुश्न नवाजा है उसको मालिक ने
ईमान वालों की नीयत बिगाड़ देती है

रहे न दरमियां दूरी खुदा दिवानों के
जुदाई इश्क़ में हालत बिगाड़ देती है

रईसजादों के पहलू में होश में रहना
रईसजादों की आदत बिगाड़ देती है

गलत लोगों से करीबी नहीं होती अच्छी
सरीफजादों को सोहबत बिगाड़ देती है

शराब ठीक नहीं रोज भी पीना "सावन"
लगे जो लत तो ये इज्जत बिगाड़ देती है


सावन चौहान कारोली- गजलकार
भिवाड़ी अलवर राजस्थान

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