इसा हरियाणा स
एक बिटिया की फ़रमाईश पर आज किया एक नया सृजन हरियाणवी संस्कृति पर विशेष:-
तर्ज- गाडी आले मनै बैठाले
दूध दही की नदियाँ बहती लहलाहते खलिहान
इसा हरियाणा स
धरती माँ के पूत लाडले, उपजाते अन्न धान
इसा हरियाणा स
आम नीम पे झूला झूलें जब सामण रुत आवै स
तीज सिंजारे कट्ठी होकै, मेघ मल्हार ये गावैं स
रंगे बिरंगे दामण पहरैं, स फेमस परिधान
इसा हरियाणा स
ठाडी बोली मन के सीधे एकदम सीधी बात करैंं
लख्मीचंद की चलै रागनी, रजगा सारी रात करै
मेहर सिंह और मांगे राम हुए सांगी घने सुजान
इसा हरियाणा स
मातृभूमि की सेवा खातेर सबते पहलम तैयार रहवैं
करैं चौकसी सरहद ऊपर जो खाण्डे की धार रहवैं
दुश्मन की छाती कांप्यां करै, देख के सिंह सी श्यान
इसा हरियाणा स
खेल कूद में रहते आगे, सोने की बरसात करैं
कुस्ती और कबड्डी खेलैं, दंगल दो दो हाँथ करैं
बॉक्सर हुए बिजेन्दर बरगे जाणें सकल जहान
इसा हरियाणा स
ईश्वर में भरपूर आस्था, करते टहल बुजुर्गो की
गाँव के भोले भाले माणश राखै कद्र तजुर्बों की
इनकी सेवा भाव का कायल, ये *सावन चैहान
इसा हरियाणा स
"सावन चौहान कारोली " - एक साधक
भिवाड़ी अलवर राजस्थान
14-09-2017
https://sawankigazal.blogspot.com/2019/07/fouji-vatan-ki-shan-hai-fouji.html?m=1
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