जब रोता सीने से लगाती,
लोरी गा गा के थी सुलाती
मुंह से निकाल निवाला खिलाती
अब वो माँ क्यों नहीं सुहाती
देख देख फूली ना समाती
कतरा कतरा लहूँ पिलाती
तू जगता वो सो नहीं पाती
अब वो माँ क्यों नहीं सुहाती
कैसे कैसे लाड लड़ाती
माथे पे काला टीका लगाती
ऊँगली पकड जो चलना सिखाती
अब वो माँ क्यों नहीं सुहाती
प्यार दुलार से थी जो नहलाती
राजा बेटा जो तुझको बुलाती
चाँद सितारों से चेहरा मिलातीं
अब वो माँ क्यों नहीं सुहाती
सारी बला सर खुद ले जाती
रूठ जो जाता तो थी मनाती
देके कसम फिर खाना खिलाती
अब वो माँ क्यों नहीं सुहाती
जब रोता सीने से लगाती
लोरी गा गा के थी सुलाती
मुंह से निकाल निवाला खिलाती
अब वो माँ क्यों नहीं सुहाती
अब वो माँ क्यों नहीं सुहाती
अब वो माँ क्यों नहीं सुहाती
सावन चौहान कारौली -एक कलमकार
भिवाड़ीअलवर राजस्थान
मो. 9636931534
https://sawankigazal.blogspot.com/2020/12/Http// kardo-murade-meri.htmll