शनिवार, 27 जुलाई 2019

Balika shksha


     “बालिका शिक्षा”

माँ मैं भी भैया के संग में ,
    शाला पढ़ने जाउंगी ।
       एक अवसर मुझको भी दे दे,
             देश का मान बढ़ाउंगी ।
क्यों मुझसे है ये दुभात माँ ,
दोष मेरा बतला दो तुम ।
     भैया में क्या अलग है मुझसे ,          मुझको भी सामझा दो तुम ।
मेरे मन की पीड़ा को माँ ,
 पापा को बतला देना ।
            तेरी बात मानलेंगे वो ,
            तु उनको समझा देना ।
मास्टर जी की गुड़िया जाती,
मैं भी नाम लिखाऊंगी ।
           माँ मैं भी भैया के संग में ,
           शाला पढ़ने जाऊँगी ।
एक अवसर मुझको भी दे दे ,
देश का मान बढ़ाऊँगी ।
           बेटी ही तो है माँ-शारदे ,
           जो विद्या वर देती है ।
फिर क्यों मैं विद्या से वंचित ,
वो भी किसी की बेटी है ।
           कहते हैं की बिटिया
           दो घर का उजियारा होती है ।
अनपढ़ क्यों रखती है तु माँ ,
भाग क्यों मेरे डुबोती है ।
           नाम करूंगी रोशन जग में
           जीवन भर गुण गाऊंगी ।
माँ मैं भी भैया के संग में ,
शाला पढ़ने जाउंगी ।
      एक अवसर मुझको भी दे दे ,
          देश का मान बढाऊंगी ।

विनम्र आग्रह:-
      
सबसे ही से मेरा विनम्र अनुरोध है
की किसी भी बच्ची को विद्या से मेंहरूमना रखे  उन्हें विद्यालय (पाठशाला) जरूर भेजें क्योंकि एक बेटी को पढ़ाना दो कुलों  शिक्षित करने के बराबर होता है ।

सावन चौहान कारौली-एक नादान कलमकार
भिवाड़ी अलवर राजस्थान
मो. 9636931534

https://www.writersindia.in/2019/07/blog-post_18.html?m=1

                      

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