दूरियों को मिटाते चलो
212 212 212
दूरियों को मिटाते चलो
फासलों को घटाते चलो
तोड़ना दिल तो आसान है
हो सके तो मिलाते चलो
फासलों को घटाते चलो
तोड़ना दिल तो आसान है
हो सके तो मिलाते चलो
नफरतों ने उजाड़े चमन
प्रेम के गुल खिलाते चलो
प्रेम के गुल खिलाते चलो
तीरगी खुद ही मिट जाएगी
दीप दिल के जलाते चलो
सामने वाला झुक जाएगा
थोडा खुद को झुकाते चलो
चार दिन की है ये जिंदगी
लम्हा लम्हा सजाते चलो
एक ही डाल के फूल सब
ये दीवारें गिराते चलो
पाप है, बेजुबां पे सितम
बात दिल में बिठाते चलो
प्यार से जीत सकते हो सब
इक दफा आजमाते चलो
आग दिल की बुरी चीज़ है
इसको’ सावन बुझाते चलो
सावन चौहान कारोली-एक नादान कलमकार
06/04/2018
https://sawankigazal.blogspot.com/2019/07/blog-post_18.html?m=1