शनिवार, 27 जुलाई 2019

दूरियों को मिटाते चलों



दूरियों को मिटाते चलो
212  212 212

दूरियों को मिटाते चलो
फासलों को घटाते चलो

तोड़ना दिल तो आसान है
हो सके तो मिलाते चलो

नफरतों ने उजाड़े चमन
प्रेम के गुल खिलाते चलो

तीरगी खुद ही मिट जाएगी
दीप दिल के जलाते चलो

सामने वाला झुक जाएगा
थोडा खुद को झुकाते चलो

चार दिन की है ये जिंदगी
लम्हा लम्हा सजाते चलो

एक ही डाल के फूल सब
ये दीवारें गिराते चलो

पाप है, बेजुबां पे सितम
बात दिल में बिठाते चलो

प्यार से जीत सकते हो सब
इक दफा आजमाते चलो

आग दिल की बुरी चीज़ है
इसको’ सावन बुझाते चलो

सावन चौहान कारोली-एक नादान कलमकार
06/04/2018





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