रविवार, 21 जुलाई 2019

तू गया साथ में जाने क्या ले गया




तू गया साथ में जाने क्या ले गया

जाते जाते दरद बेपनहा दे गया
तू गया साथ में जाने क्या ले गया

मखमली मखमली तेरी आवाज वो
जैसे प्यासे से कोई कुआ ले गया
एक जादू था तेरी उस आवाज में
चारागर जैसे कोई दवा दे गया

ख़ाब था तेरी आवाज मेरी ग़ज़ल
एक नग़मा तेरे बिन, लिखा रह गया

तेरी रुखसत पे रोए हैं मिसरें बहुत
ग़ज़ल रोई के कोई ज़ुबां ले गया

याद में तेरी बेज़ान अहसास है
तेरा जाना हमारी तो जां ले गया

दिल के अरमां धरे के धरे रह गए
तू गया मेरे दोनो जहाँ ले गया

सावन चौहान कारोली- ग़ज़लकार
भिवाड़ी अलवर राजस्थान


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