तू गया साथ में जाने क्या ले गया
जाते जाते दरद बेपनहा दे गया
तू गया साथ में जाने क्या ले गया
मखमली मखमली तेरी आवाज वो
जैसे प्यासे से कोई कुआ ले गया
एक जादू था तेरी उस आवाज में
चारागर जैसे कोई दवा दे गया
ख़ाब था तेरी आवाज मेरी ग़ज़ल
एक नग़मा तेरे बिन, लिखा रह गया
तेरी रुखसत पे रोए हैं मिसरें बहुत
ग़ज़ल रोई के कोई ज़ुबां ले गया
याद में तेरी बेज़ान अहसास है
तेरा जाना हमारी तो जां ले गया
दिल के अरमां धरे के धरे रह गए
तू गया मेरे दोनो जहाँ ले गया
सावन चौहान कारोली- ग़ज़लकार
भिवाड़ी अलवर राजस्थान
भिवाड़ी अलवर राजस्थान
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