ओ भाभी फागुन प्यारो आयो री “होली"
देवर- ओ भाभी फागुन प्यारो आयो री, तोहे लाल रंगू या कारी
होsss लाल रंगू या कारी, ओ भाभी लायो भर पिचकारी
भाभी- ओ देवर कैरो होकै अईयो रे, कहीं फागुन पड़ जाए भारी
होsss फागुन पड़ जाए भारी
ओ देवर करके अइयो तैयारी
देवर- ओ भाभी फागुन प्यारो आयो री, तोहे लाल रंगू या कारी
देवर- रंग लगाऊँ जो तोहे भावे-2
बिलकुल मत भाभी घबरावै-2
ओ जयपुर ते रंग मंगायो री, तोहे लाल रंगू या कारी-2
भाभी- देवर कैरो होके आयो… कहीं फागुन...
देवर- ओ भाभी फागुन…
देवर- अब के ऐसी खेलूँ होली,भीगे साडी घगरी चोली-2
ऐसो फाग नशीलो आयो री, तोहे लाल रंगू या कारी-2
भाभी- ओ देवर कैरो होके… कहीं फागुन...
ओ भाभी…
देवर- गोरे गोरे गाल रंगूँगो
नीली पीली लाल रंगूँगो-2
ओ भाभी रंग गुलाबी लायो री,तोहे लाल रंगू या कारी -2
भाभी- ओ देवर कैरो होके… कहीं फागुन...
देवर- ओ भाभी…
भाभी- ऐसो देवर रंग दूँ तोहे, छूटें ना रंग कितनो भी धोवे-2
ओ सावन ऐसो रंग है लायो रे,कहीं फागुन पड़ जाए भारी
देवर- ओ भाभी फागुन प्यारो आयो रे
तोहे लाल रंगु या कारी
भाभी - ओ देवर कैरो ….
सावन चौहान कारौली -एक कलमकार
भिवाड़ी अलवर राजस्थान