ग़ज़ल
वजन -212 212 212 212
काफ़िया- ई
रदीफ़- की तरह
कोई लगने लगा जिंदगी की तरह
उसकी बातें लगी चाशनी की तरह
चाँद से जैसे उतरी कोई हूर हो
उसका चेहरा लगा चाँदनी की तरह
सोने चांदी से ज्यादा चमकदार है
कोई गहना नहीं सादगी की तरह
लब कली रुख क़मर जुल्फ काली घटा
सर से पैरों तलक मौसिकी की तरह
इक गजब की कशिश है तिरे रूप में
इक नशा सा चढ़े मयकसी की तरह
देख "सावन" मचलता है तुझको ये दिल
मैं हूं प्यासा बहुत तू नदी की तरह
सावन चौहान कारौली
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