विनती सुनले हे भगवान
विनती सुनले ऐ भगवान्,
तड़प रहे मजबूर किसान ।
आसमान को नजर ताकती,
सूख चुकी है नमी आँख की,
अबके खाली है खलियान ।
तन ये हुआ पशीना पशीना,
मुश्किल हो गया आज तो जीना ।
ऐसा लगा अब निकली जान ।
ए सी कूलर भूले सांस ,
बारिस ही है अब एक आश ।
अब दे दो बूंदों का दान ।
आग बरस रही आज फलक से,
पानी सुखा जाय हलक से ।
हवा भी आज हुई सुनसान ।
तेरी लीला बड़ी महान,
विनती ली तूने जो मान ,
तू रखता है सब का ध्यान ,
हम सब है तेरी सन्तान ।
हलधर की लोटी मुश्कान,
महक उठे खेत और खलियान ,
सब करते तेरा गुणगान,
शुक्र तेरा हमपे भगवान,
तेरे सहारे ही है चौहान ।
सावन चौहान कारौली...✍एक कलमकार
भिवाड़ी अलवर राजस्थान
मो. 9636931534
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