शनिवार, 15 जून 2019

chhat pe aane lage aajkal



गज़ल


वज़्न -212 212 212 "जिंदगी की न टूटे लड़ी”


मुश्कुराने लगे आजकल दिल लुभाने लगे आजकल


फूल खुशबू चमन और कली दिल को भाने लगे आजकल


चाँद तारे धनक चाँदनी छत पे आने लगे आजकल


जब से दिल आशना हो गया वो सताने लगे आजकल


जिंदगी चाशनी होगई घुल के आने लगे आजकल


आग  दिल मे लगाके मेरे रुख छुपाने लगे आजकल


हाय जालिम ने क्या कर दिया याद आने लगे आजकल


इश्क का है असर देखिए सज के आने लगे आज कल


जब से हमसे निगाहें मिली सकपकाने लगे आजकल


जिसको एक पल सुहाते न थे उनको भाने लगे आजकल


शेर ‘सावन’ मुकम्मल हुआ वो जो गाने लगे आजकल


स्वरचित कलमकार-सावन चौहान कारोली अल्फ़ाज़ ए सुखन07-04-2019



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