सिक्रेसी
राज की बात
2122 1221 2122 12
राज की बात है, बात ही राज है
बिन करे होती’ पैदा, इक आवाज है।
बिन करे होती’ पैदा, इक आवाज है।
खुल्ली आँखों से कुछ भी, नजर आये ना
नैन मूंदे तो खुलते, नए राज है।
नैन मूंदे तो खुलते, नए राज है।
खाक से है बना, खाक हो जाएगा
गोरे तन पे तुझे इतना, क्यों नाज है।
गोरे तन पे तुझे इतना, क्यों नाज है।
ध्यान सांसों की सरगम पे, धर तो जरा
इतना प्यारा बजे ना, कोई साज है।
इतना प्यारा बजे ना, कोई साज है।
साथ आया न कोई, गया साथ मे
लेनी पड़ती अकेले ही, परवाज है।
लेनी पड़ती अकेले ही, परवाज है।
कब गिरादे- ऊठादे, रजा वक्त की
वक्त के कुछ अलग से ही , अंदाज है।
हद से ज्यादा किसी पे न करना यकीं
धड़कने तक हो जाती दगा बाज है।
धड़कने तक हो जाती दगा बाज है।
सावन चौहान कारोली
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