गुरुवार, 20 जून 2019

बुजुर्ग तो सबको होना है

 

आधुनिक औलाद

बुजुर्ग तो सबको होना है



जनक जननी खा रहे है,
दर दर देखो ठोकरें ।
          बेटा जिसकी रईसी की,
           चर्चा है अखबार में ।।

कब तलक होती रहेगी,
बुजुर्गों की दुर्गती ।
          कौनसी कमी रह थी,
          इनके लाड प्यार में ।।

हो कोई कानून ऐसा,
जो बदलदे ये कुप्रथा ।
         क्या कोई श्रवण सपुत्र,
             नहीं है सरकार में ।।

बुजुर्ग होना है गुनाह तो,
 तुम भी पहले ही, मर जाना ।
            आधुनिक औलाद तेरे,
             बैठी है इन्तजार में ।।

आँशु नहीं है खून है ये,
जो इन आँखों से बह रहा ।
              ला देंगे ये जलजला,
              वो दर्द है इस पुकार में ।।

क्यों ना देते मात पिता,
बेटी को शिक्षा सेवा की ।
             सास श्वसुर माँ बाप बराबर,
              नहीं क्या उनके विचार में ।।

बहु भी किसी की बेटी है और,
बेटी भी किसी की बहु होगी ।
             कहीं ना कहीं तो हम भी शामिल,
              हैं इस अत्याचार में ।।

जुम्मेदारी समझ के हम,
 बेटी को गर ये सिखाएंगे ।
              सास श्वसुर की सेवा का
   गुण डालेंगे संस्कार में ।।

नीव जब अच्छी भरेगी,
नीड भी मजबूत होगा ।
                 ये बुराई ना रहेगी,
                 सावन इस संसार में ।।

 "सावन चौहान कारोली" एक कलमकार
             
             
             
         https://sawankigazal.blogspot.com/2019/07/blog-post.html?m=1