शनिवार, 13 जुलाई 2019

Wo samajh na saka

गजल

वो समझ न सका मैं जता न सका

वो समझ ना सका मैं बता ना सका ।
दर्द ए दिल ये उसे मैं दिखा ना सका ।।

दूर उसको गए एक ज़माना हुआ ।
आज तक भी उसे मैं भुला ना सका ।।

मेरी आँखों में अश्कों के बादल भी थे ।
वो भी रो दे ना आशुं बहा ना सका ।।

मानता हूँ मैं नादान था इश्क में ।
उसको दिल की हकीकत सुना ना सका ।।

जिंदगी है अधूरी ये उसके बिना ।
है कसक उसको अपना बना ना सका ।।

दूर जाते ही टूटे बाँध सब्र के ।
फिर चाह के भी सावन वो आना सका ।।

"सावन चौहान कारौली"
भिवाड़ी अलवर राजस्थान
9636931534