"Singhon pe bhi padti bhari hai"
ये गोरे गोरे गालन की
येsss गौरे -गौरे गालन की
दो चार बरस लगे “प्यारी” है
सिंहों पे भी पड़ती भारी है
शादी को शिकंजो जो कस जावे
लेवो समझ शिकारी फंस जावे
गन्ना को सो जूस निकस जावे
भुगते ता उम्र लाचारी है
सिंहों पे भी पड़ती भारी है
खानो पिनों दुष्वार करें
ये रात दिना तकरार करें
बिन लड़े ना इन को चैन पड़े
लड़े जैसे सांड सरकारी हैं
सिंहों पे भी पड़ती भारी है
एक रात में बी ए करवादै
माँ बाप से पल में लड़वादे
भाई भाई में बिगड़ वादे
करे छाती पे बैठ संवारी है
सिंहों पे भी पड़ती भारी है
देखन में भोली गैया हैं
ये थानेदार की भी मैया हैं
कोई बिरचो हुओ ततैया हैं
चिक चिक की बड़ी बिमारी हैं
सिंहों पे भी पड़ती भारी है
नाय मनो इनकी तो मरनो
जो माने तो जिन्दो बरनो
आफत को बड़ो भारी झरनो
कोई दबी हुई चिंगारी हैं
सिंहों पे भी पड़ती भारी है
मूरख हैं जो इन्हें समझावै
नाय समझ की बात समझ आवै
नाय इन से पार कोई पावे
सब झूटी लम्बड़दारी है
सिंहों पे भी पड़ती भारी है
हम ने भी राड जगा दिनी
नारी की महिमा सुना दिनी
सावन साँची बतला दिनी
शायद कम्बख्ती आरी हैं
सिंहों पे भी पड़ती भारी है
सावन चौहान कारौली -एक कलमकार
भिवाड़ी अलवर राजस्थान
मो.9636931534