मंगलवार, 18 फ़रवरी 2020

Bhookamp the earthquake

          Bhookamp the earthquake


कांपी धरती  डोला पर्वत
 चहुँओर उठा एक कोलाहल

मचा हाहाकार, चीखो-पुकार 
थर-थर करके ढह गए महल

गये उजड़ नगर सब गया ठहर
एक प्रलय गई सब पल में निगल

सागर धुजा पक्षी कूके
 हुई ऐसी अचानक उथल-पुथल

 कोई सोया था कोई जागा था
 कोई जान बचाने भगा था 

कितने ही पड़े थे लहूलुहान 
कितनो की न जाने जान गई

कितने ही जीवित दफ़न हुए 
शायद सटीक अनुमान नहीं

नेपाल पड़ा था लहूलुहान
 बेबस बेसुध सा बेचारा

जैसे ही ख़बर मिली सबको
 था मदद को दौड़ा जग सारा


सावन चौहान करौली


https://www.writersindia.in/2019/06/blog-post_23.html?m=1

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